शनिवार, 24 जुलाई 2010
गमले के फूल...
अक्सर हम प्रकृति की सुंदरता को नज़रंदाज़ कर देते है और पीकदान समझकर थूक देते है सुकमा के रेस्ट हाउस के बहार रखे एक गमले के फूल....!
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मेरे बारे में
- Anwar Qureshi
- मैं खुद को समझने निकला हूँ कितना समझा है और कितना समझना बाकी है मैं येही समझने की कोशिश कर रहा हूँ , मुझे तन्हाई पसंद है क्यूंकि वो कभी मेरा साथ नहीं छोड़ती है , मेरे मन में हजारों सवाल है मैं उनका जवाब ढूंडने निकला हूँ , मैंने अपनी उँगलियों से अपनी आखें खूब मल के देखी है फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे दिखता है मेरा धुंधला सा अस्क !!!
1 टिप्पणियाँ:
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